CBSE Solved Question Papers for Class 9 Hindi A Set 1
हल सहित
सामान्य निर्देश :
खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
विज्ञान ने मनुष्य की चिन्तन-प्रणाली को भी प्रभावित किया है। इसने मनुष्य को बौद्धिक विकास प्रदान किया है और वैज्ञानिक चिन्तन-पद्धति दी है। वैज्ञानिक चिन्तन से मनुष्य अंधविश्वासों एवं रूढ़ि-परम्पराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं सन्तुलित ढंग से चिन्तन कर सकता है। इसने मनुष्य के मन में युगों के अंधविश्वासों, दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता को दूर कर दिया है। इसे विज्ञान की सर्वाधिक उल्लेखनीय देन कहा जा सकता है। विज्ञान धरती और समुद्र के अनेक रहस्यों को जान लेने के बाद अन्तरिक्ष लोक में प्रविष्ट हुआ है। अन्तरिक्ष लोक के रहस्यों को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने अनेक अन्तरिक्ष-यानों और कृत्रिम उपग्रहों को आकाश में छोड़ा है तथा अमेरिका के वैज्ञानिक चन्द्रलोक तक पहुँचने में समर्थ हो सके हैं।
(क) उक्त गद्यांश का शीर्षक बताइए
(ख) वैज्ञानिक चिन्तन से क्या परिवर्तन हुआ है?
(ग) अंतरिक्ष लोक के रहस्य मनुष्य ने किस प्रकार जाने हैं?
(घ) विज्ञान ने किन-किन स्थानों के रहस्य को उजागर किया है?
(ड) विज्ञान ने क्या दूर कर दिया है?
उत्तर:
(क) उचित शीर्षक है-विज्ञान और मनुष्य।
(ख) वैज्ञानिक चिन्तन से मानव अंधविश्वासों, रूढ़ि परम्पराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं संतुलित ढंग से चिन्तन करने लगा है।
(ग) अंतरिक्ष लोक के रहस्य जानने के लिए उसने अन्तरिक्ष यानों एवं कृत्रिम उपग्रहों को आकाश में छोड़ा है।
(घ) विज्ञान ने धरती, समुद्र, अन्तरिक्ष के अनेक रहस्यों को उजागर किया है।
(इ) विज्ञान ने अंधविश्वासों, दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता को दूर कर दिया है।
2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िये और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
खेत और खलिहान तुम्हारे,
ये पहाड़, जंगल, उपवन,
ये नदियाँ, ये ताल सरोवर,
गाते हैं विप्लव गायन!
उत्तर में गा रहा हिमाचल,
दक्षिण में वह सिंधु गहन
सभी गा रहे हैं, लो आया।
यह लोलित जागरण प्रहर !
गंगा गाती कल-कल ध्वनि में,
भारत के कल की बातें,
यमुना गाती है कल-कल कर
बीत गई कल की रातें,
साबरमती गरज कर बोली
अब कैसी निशि की छतें
दिन आया, अपना दिन आया,
यों गाती है लहर-लहर!
उत्तर से दक्खिन पूरब से
पश्चिम तक तुम एक, अरे !
भेदभाव से परे एक ही
रही तुम्हारी रोकटोक अरे!
एक देश है, एक प्राण तुम,
तुम हो नहीं अनेक अरे!
खोलो निज लोचन, देखो यह
खिली एकता ज्योति प्रखर!
(क) गंगा, यमुना, साबरमती नदियाँ कल-कल ध्वनि से क्या संदेश देती हैं?
(ख) एकता की ज्योति प्रखर का क्या आशय है?
(ग) इस काव्यांश का क्या संदेश है?
(घ) यमुना गाती है कल-कल कर बीत गई कल की रात में कौन-सा अलंकार है?
(ड) प्रहर शब्द में कौन-सा उपसर्ग है?
उत्तर:
(क) गंगा, यमुना और साबरमती कल-कल ध्वनि से आने वाले कल के भारत की समृद्धि क्रांति के गीत गाती हैं जो अंधेरी रात बीत गई हैं उनके गीत नहीं गातीं।
(ख) एकता की ज्योति का आशय है कि भेदभावों को भूलकर एकता को महसूस करो।
(ग) कविता का मूल संदेश है कि भेद होते हुए भी भारत एक है।
(घ) कल-कल = कलकल ध्वनि, कल = भूतकाल अत: यमक अलंकार है।
(इ) प्रहर शब्द में ‘प्र’ उपसर्ग है।
खण्ड ‘ख’ : व्याकरण
3. (i) निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) ‘प्रत्यारोप’ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग और मूल शब्द लिखिए।
(ख) ‘अभि’ उपसर्ग लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ग) ‘सादगी’ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय और मूल शब्द लिखिए।
(घ) ‘नी’ प्रत्यय लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ii) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए-
(क) पंचवटी
(ख) शश्वेतांबर
(ग) नीलकोठ
उत्तर:
(i)
(क) प्रति-उपसर्ग, आरोप-मूल शब्द
(ख) अभिमान
(ग) गी-प्रत्य, सादा-मूल शब्द
(घ) ओढ़नी, कतरनी, मोरनी, शेरनी आदि।
(ii)
(क) पंचवटी-पाँच वृक्षों का समाहार-विगु समास
(ख) श्वेतांबर-श्वेत हैं जो अंबर-कर्मधारय
(ग) नीला है कोठ जिसका अर्थात-शिव- (बहुब्रीहि समास)
4. (i) अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की पहचान करके उनके भेद लिखिए-
(क) आपको जीवन में सदा सफलता मिले
(ख) उफ! पेट में बहुत दर्द हो रहा है ।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलए:
(क) स्वामी जी ने शिकागो जाने का निश्चय किया। (संदेहवाचक में)
(ख) कल हम मेला देखने जाएंगे। (निषेधवाचक में)
उत्तर:
(i) (क) इच्छवाचक
(ख) विस्मयवाचक
(ii) (क) शायद स्वामी जी ने शिकागो जाने का निश्चय किया हो?
(ख) कल हम मेला देखने नहीं जायेंगे।
5. निम्नलिखित पद्यांशों में प्रयुक्त अलंकारों की पहचान कर उनके नाम लिखिए
(क) वह दीप-शिखा-सी शांत भाव में लीन
(ख) को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर
(ग) दृग पग पोंछन को करे भूषन पायंदाज
(घ) एक सुंदर सीप का मुँह था खुला।
उत्तर:
(क) उपमा अलंकार 83:3:
(ख) श्लेष अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक
6. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
आज से कई वर्ष पहले गुरुदेव के मन में आया कि शांतिनिकेतन को छोड़कर कहीं अन्यत्र जाएं। स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं था। शायद इसलिए, या पता नहीं क्यों, तै। पाया कि वे श्रीनिकेतन के पुराने तिमंजिले मकान में कुछ दिन रहें। शायद मौज में
आकर ही उन्होंने यह निर्णय किया हो। वे सबसे ऊपर के तल्ले में रहने लगे। उन दिनों ऊपर तक पहुँचने के लिए लोहे की चक्करदार सीढ़ियाँ थीं, और वृद्ध और क्षीणवपु रवींद्रनाथ के लिए उस पर चढ़ सकना असंभव था। फिर भी बड़ी कठिनाई से उन्हें वहाँ ले जाया जा सका।
(क) ‘गुरुदेव’ किसके लिए प्रयुक्त किया गया है और उन्होंने स्थान परिवर्तन का मन क्यों बनाया था?
(ख) स्थान-परिवर्तन करके गुरुदेव कहाँ गए? वहाँ का मकान कैसा था ?
(ग) श्रीनिकेतन में गुरुदेव को क्या परेशानी हुई थी? बताइए।
उत्तर:
(क) रवींद्रनाथ टैगोर, स्वास्थ्य अच्छा न होने के कारण।
व्याख्यात्मक हल : ‘गुरुदेव’ गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर के लिए प्रयुक्त किया गया है। शांतिनिकेतन पर उनसे मिलने-जुलने वालों का तांता लगा रहता था, इसलिए उन्होंने स्थान परिवर्तन का मन बनाया था। क्योंकि उनका स्वास्थ भी ठीक न था।
(ख) श्रीनिकेतन, तीन मंजिला।
व्याख्यात्मक हल :
स्थान-परिवर्तन करके गुरुदेव श्रीनिकेतन गए। वहाँ का मकान पुराना और तिमंजिला था।
(ग) लोहे की चक्करदार सीढ़ियों से तीसरी मंजिल पर जाने के कारण।
व्याख्यात्मक हल :
श्रीनिकेतन के मकान की सीढ़ियाँ लोहे की व चक्करदार थीं जिस पर चढ़ना उनके लिए परेशानी खड़ी कर देती थी।
7. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) परमधाम भेजने का अर्थ स्पष्ट करते हुए यह बताइए कि उस समय कन्याओं के साथ ऐसा क्यों होता था?
(ख) सेनापति ‘हे’ के लिए किस बात को कलंक की बात बताया गया था? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।
(ग) प्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूते देखकर परसाई की मनोदशा पर टिप्पणी कीजिए।
(घ) किसमें एक विचित्र सा आकर्षण होता है?
उत्तर:
(क) लड़कियों का जन्म अशुभ माना जाता था।
व्याख्यात्मक हल :
परमधाम भेजने का अर्थ उन्हें मार देना है। उस समय लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता था। उन्हें लड़कों से कमतर आँका जाता था। इसलिए उन्हें पैदा होते ही मार दिया जाता था।
(ख) वृद्धावस्था में मैना के सौन्दर्य पर मोहित होना।
व्याख्यात्मक हल :
सेनापति ‘हे’ ने अपनी रिपोर्ट में नाना साहब की पुत्री देवी मैना पर दया दिखाने की बात को पार्लियामेंट की ‘हाउस ऑफ लाईस’ सभा ने ‘हे’ का देवी मैना पर मोहित होना मानकर उसे कलंक की बात कही।
(ग) प्रेमचंद जैसे महान कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक की दशा की कल्पना परसाई जी ने नहीं की थी।
व्याख्यात्मक हल :
प्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूते देखकर परसाई जी का मन रोने को करता है। उन्हें प्रेमचन्द जैसे महान साहित्यकार की बदहाली से बहुत दुःख होता है। उनके पास विशेष अवसरों पर पहनने के लिए भी अच्छे कपड़े और जूते नहीं थे। उनकी आर्थिक दुरावस्था की कल्पना से लेखक और भी अधिक दुःखी हो रहे
(घ) एक विचित्र सा आकर्षण होता है।
कभी-कभी लगता है, जैसे सपने में सब देखा होगा।
व्याख्यात्मक हल :
बचपन का समय मनुष्य के जीवन का सबसे सुखद समय होता है। अतः बचपन से जुड़ी प्रत्येक स्मृति में बहुत आकर्षण होता . है। जिसके कारण वह समय एक सपने जैसा लगता है।
8. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फायदा जरूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा
मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख्ध्र लेता।।
(क) माँ के समझाने का कवि को क्या लाभ हुआ?
(ख) कवि दक्षिण में दूर-दूर तक क्यों गया? वहाँ उसे क्या समझ आया?
(ग) कवि को किस बात का अफसोस रह गया?
उत्तर:
(क) दिशा ज्ञान-दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।
(ख) यमराज का घर ढूँढ़ने-दक्षिण दिशा का कोई छोर नहीं, पृथ्वी गोल है।
(ग) यमराज का घर न देख पाने का, दक्षिण के अंतिम छोर तक पहुँचने का
9. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) बच्चों को किस प्रकार की सुख-सुविधाएँ मिलनी चाहिए? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पाठ के आलोक में लिखिए।
(ख) बादलों के आने पर आकाश कैसा लगने लगा? “मेघ आए” कविता के अनुसार लिखिए।
(ग) कवि ने चने की बिते के बराबर क्यों कहा है?’चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता के अनुसार स्पष्ट कीजिए।
(घ) आप की समझ में कवि की बच्चों के काम पर जाने की चिंता कितनी उपयुक्त है? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
(क) शिक्षा, खेलने के लिए आँगन एवं बगीचे किताबें, खिलौने।
व्याख्यात्मक हल:
बच्चों को काम पर भेजे जाने के स्थान पर पढ़ने-लिखने का पूरा मौका मिलना चाहिए, ताकि वे शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को संवार सकें। उन्हें खेलने-कूदने का उचित अवसर मिलना चाहिए ताकि वे तन-मन से स्वस्थ बन सकें। उन्हें अपने मातापिता, सगे-सम्बन्धियों और पास-पड़ोस से पूरा प्रेम मिलना चाहिए। ऐसा होने से ही उनके व्यक्तित्व का समुचित विकास हो सकेगा।
(ख) रंग-बिरंगा सुन्दर।
व्याख्यात्मक हल : बादलों के आने पर आकाश रंग-बिरंगा दिखाई देने लगता है। बरसात के मेघ बहुत घने होते हैं। उनके पीछे से आती सूर्य की रोशनी से उनमें अनेक आशाएँ दिखाई पड़ती हैं। कभी-कभी इन्द्रधनुष की आभा भी दिखाई देती है। इसी आभा के कारण आकाश रंग-बिरंगा और अलग-अलग रूपों से सजा हुआ दिखाई देता है।
(ग) उसके आकार के कारण। चने का पौधा कम ऊँचाई वाला होता है ।
व्याख्यात्मक हल :
चने का पौधा कद में छोटा, ठिगना और कम ऊँचाई वाला होता है, जो एक बालिश्त (बिते/बहुत छोटे) के बराबर होगा। उसके छोटे आकार के ही कारण कवि ने बिते के बराबर कहा है।
(घ) बिल्कुल उपयुक्त है।
देश का भविष्य उज्ज्वल कैसे होगा, जहाँ बच्चे शिक्षा ग्रहण करने की आयु में काम करेंगे।
व्याख्यात्मक हल :
बच्चों को काम पर भेजना उनके साथ घोर अन्याय है। बचपन भविष्य की नींव होती है। इस पर ही देश का भविष्य निर्भर करता है। जिस समाज में बच्चों के विकास को कुचला जाता है वह समाज अन्यायी तथा अविकसित है तथा पिछड़ेपन का जीताजागता उदाहरण है। जो किसी बड़े हादसे के ही समान है।
10. बच्चन जी के समान, यदि आपको तेज वर्षा में कहीं निकलना पड़े, तो आप किनकिन परिस्थितियों पर विचार करेंगे तथा उनके उस प्रकार चल पड़ने से आप क्या प्रेरणा ग्रहण करते हैं?
उत्तर:
-वर्षा की भूमि
-रुकने की संभावना
-कार्य की आवश्यकता
-समय के महत्व व सीमा का निर्धारण
-वर्षा के बचाव के साधनों का प्रयोग
(छत्र अन्य मूल्यपरक बिंदुओं का उल्लेख भी कर सकते हैं।)
व्याख्यात्मक हल:
यदि मुझे बारिश में कहीं निकलना पड़े, तो मैं सर्वप्रथम मार्ग में बारिश के कारण आ सकने वाली बाधाओं पर विचार करूंगा। साथ ही उनसे बचने के उपाय भी सोच्चूंगा। यदि कार्य अति महत्वपूर्ण है, तो बिना परिस्थितियों पर विचार किए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाऊँगा। साथ ही वर्षा से बचाव के साधन जैसे छाता या रेनकोट का उपयोग भी करूंगा। बच्चन जी के इस प्रकार चल पड़ने से हम उनके दृढ़ निश्चयी और वक्त के पाबंद होने का गुण सीखते हैं। साथ ही अपने इस कृत्य से वे हमें आत्मनिर्भर होने और तुरंत निर्णय लेने का भी सबक सिखाते हैं, जिनके सीख जाने। पर व्यक्ति कैसे भी विपरीत परिस्थिति का सामना करने को सहर्ष तैयार हो जाता है। वह अपने काम को समय पर पूरा करता है और अपने कार्य की पूर्णता के लिए समाज की परवाह नहीं करता है।
खण्ड ‘घ’ : लेखन
11. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर 200 से 250 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
(क) विद्यार्थी एवं पाश्चात्य संस्कृति [संकेत बिन्दु-
(1) भूमिका,
(2) पाश्चात्य परिधान पसंद किए जाते हैं,
(3) ‘वैलेन्टाइन’ आदि का मनाया जाना,
(4) युवाओं के मन,
(5) उपसंहार]
अथवा
(ख) मजहब नहीं सिखाता आपस में भेद रखना [संकेत बिन्दु-
(1) भूमिका,
(2) विभिन्नता में एकता,
(3) धार्मिक एकजुटता,
(4) हमारा कर्तव्य,
(5) उपसंहार]
अथवा
(ग) मिट्टी के अनेक रूप [संकेत बिन्दु-
(1) भूमिका,
(2) आम धारणा, शिशु के लिए मिट्टी,
(3) सैनिक के लिए मिट्टी,
(4) आध्यात्मिक दृष्टिकोण,
(5) उपसंहार]
उत्तर:
(क) विद्यार्थी एवं पाश्चात्य संस्कृति
(1) भूमिका. उपसंहार
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा की शुहता
व्याख्यात्मक हल :
आज का विद्यार्थी भारतीय संस्कृति से परामुखी होकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित होता जा रहा है। पश्चिम . की चमक-दमक उसे अपनी ओर खींच रही है। पश्चिमी भाषा और वेष-भूषा धारण करने पर ही वह स्वयं को सभ्य समझता है। वर्तमन समय मेंजवावीं अंग्रेजी नहीं बोल पाता और भारतीय परिधान नहीं पहना है, अन्य उसके साथ रहना तो दूर बात करना भी अपनी शान के खिलाफ समझते हैं।
पाश्चात्य वेष-भूषा से प्रभावित विद्यार्थी वर्ग अपने लक्ष्य से भटक गया है। उसके लिए साज-सज्जा ही महत्वपूर्ण हो गई है। वह पढ़ाई को भूलकर फैशन की ओर भाग रहा है। भारतीय परिधान उसे अच्छे नहीं लगते हैं। विद्यार्थी वर्ग में क्या लड़का क्या लड़की सभी पाश्चात्य परिधान पसंद करते हैं। इन परिधानों को धारण करते समय वे यह भी भूल जाते हैं कि वे अपनी संस्कृति को ताक पर रख रहे हैं। आज की छात्राएँ छोटे-छोटे वस्त्रों को धारण करके विद्यालय जाती हैं। अंग प्रदर्शन उनके लिए फैशन है।
भारतीय नारी जिसकी सुन्दरता ढके तन और भारतीय परिधानों में है वे उसे नापसंद करके अनपढ़ और गंवारूपन का परिचायक समझती हैं। पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित विद्यार्थी आज अपने समस्त संस्कारों को ताक पर रखकर ऐसे दिवस मना रहा है, जिनकी भारतीय संस्कृति में कोई मान्यता नहीं है। आज का विद्यार्थी मातृ पितृ दिवस के स्थान पर ‘वैलेन्टाइन डे’ मनाता है। वह सभी कर्म करता है, जो भारतीय संस्कृति में निषिद्ध है।
युवा अपने निर्दिष्ट लक्ष्य से भटककर भौतिकता की ओर भाग रहे हैं। उनके लिए आरामदायक और अहम् भाव को पुष्ट करने वाली वस्तुएँ अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही हैं। वह अपने आत्मिक विकास की ओर ध्यान देना ही भूल गया है, जिसके परिणामस्वरूप उसका नैतिक पतन होता जा रहा है और वह अवनति के गर्त में गिरता जा रहा है। अत: यह आवश्यक है कि विद्यार्थी वर्ग जो देश का भविष्य है, उसे भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक किया जाए। साथ ही उसे पाश्चात्य संस्कृति के हानिकारक और लाभदायक पक्षों से भी अवगत कराया जाए।
(ख)
अथवा
मजहब नहीं सिखाता आपस में भेद रखना
(1) भूमिका. उपसंहार
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा की शुद्धता
व्याख्यात्मक हल : | महाभारत में कहा गया है कि धर्म वह है जो किसी भी धर्म को बुरा नहीं कहता, अपितु सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान देता है। सभी धर्म (हिन्दू, सिख, मुस्लिम, ईसाई आदि) हमें प्रेम और भाई-चारे से रहने की शिक्षा देते हैं। हमारा देश अनेक धर्म और सम्प्रदायों का देश है, किन्तु सबमें एक ही बात है कि हम धार्मिक रीति-रिवाजों को अलग-अलग मानते हुए भी देश के लिए एक ही हैं। यह देश हम सबका है किसी धर्म विशेष अथवा जाति विशेष का नहीं है।
अलग-अलग सम्प्रदाय होते हुए भी हम सब भारतमाता की सन्तान हैं। हम सबको अपना देश जान से भी प्यारा है। यह देश एक बगीचे के समान है जिसमें अनेक धर्म और अनेक जातियों के लोग रंग-बिरंगे पुष्पों की भाँति रहते हैं। जैसे बगीचे की सुन्दरता
केवल एक रंग के फूलों से न होकर अनेक रंग के फूलों से बढ़ती है वैसे ही देश भी अनेक धर्म और जातियों के व्यक्तियों से सुशोभित हो रहा है।
हमारे देश के संविधान में किसी को छोटा या बड़ा, अच्छा या बुरा नहीं समझा गया है। यहाँ सभी धर्म और सम्प्रदायों के लिए समान रूप से अधिकार प्राप्त हैं। देश की अदालतों द्वारा सबको निष्पक्ष न्याय पाने का अधिकार है। राष्ट्रीय स्तर पर सभी राष्ट्र के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
भारत को अंग्रेजों से स्वतन्त्र कराने में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि सभी धर्मों के लोगों का पूरा योगदान है। इसलिए हम यह गर्व से कह सकते हैं कि यह देश हम सभी का है। इसके इतिहास में सबके बलिदान की गाथायें स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई हैं। किन्तु आज सबसे अधिक अफसोस इस बात का है कि देश में अलगाववादी ताकतें पनप रही हैं जो आपस में फूट डालकर लोगों के मन में जहर का बीज बो रही हैं, मजहब की दुहाई देकर फिरका परस्त अपनी स्वार्थ की रोटियाँ सेंक रहे हैं। देश के लिए यह अच्छा नहीं है। हमें इन अलगाववादी असामाजिक तत्वों को शीघ्र ही पहचानना चाहिए और उनकी बातों में न आकर देश की एकता और शान्ति की प्रयत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। उर्दू के मशहूर कवि इकबाल की यह पंक्तियाँ हमारे देशवासियों की अखंड एकता की ओर संकेत करती हैं
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
हम बुलबुले हैं इसकी यह गुलिस्तां हमारा।
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा।
हमारा कर्तव्य है कि हम अपने देश की इस अखण्डता और एकता को सदैव ऐसे ही
बनाए रखें।
(ग)
अथवा
मिट्टी के अनेक रूप
(1) भूमिका. उपसंहार
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा की शुद्धता
व्याख्यात्मक हल :
मिट्टी का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अलग ही और महत्वपूर्ण स्थान है। हमारा शरीर पंचभूतों से मिलकर बना है, जिनमें से मिट्टी भी – एक तत्व है। अत: मिट्टी से प्रत्येक व्यक्ति का लगाव होना स्वाभाविक ही है। मिट्टी में ही खेलकर बच्चा बड़ा होता है। मिट्टी ही उसके शरीर को मजबूती प्रदान करती है। वही एक पहलवान अपने अखाड़े की मिट्टी लेता हुआ स्वयं को विश्व विजयी समझता है। मनुष्य के व्यक्तित्व के निर्माण में इस मिट्टी का योगदान सर्वोपरि है।
धूल व मिट्टी में सना हुआ बालक, अपनी माता को बहुत प्यारा लगता है। अपने उस बालक में उसे बाल कृष्ण की छवि दिखाई देती है। अपने बच्चे को उठाकर वह स्नेह से अपने गले से लगा लेती है। उसे स्नेह और दुलार करती है। धूल-मिट्टी में सना हुआ उसका बालक उसे संसार का सबसे सुन्दर बालक प्रतीत होता है। वह बार-बार उसकी नजर उतारती है। वहीं नगरों की महिलाओं की मानसिकता में परिवर्तन आया है। वह धूल लगे अपने बालकों को डाँटती हैं। उन्हें धूल से दूर रहने के लिए समझाती हैं। वे अपने इस व्यवहार से बालक को मिट्टी से दूर करना चाहती हैं। जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी से दूर रहने वाले ये बालक मिट्टी में खेलने वाले बालकों की अपेक्षा अधिक कमजोर होते हैं। अत: मिट्टी से दूर करने के स्थान पर माताओं को अपने बच्चों को मिट्टी का महत्व समझाना चाहिए। एक सैनिक के लिए उसके देश की मिट्टी उसकी माता के समान होती है। प्रत्येक सैनिक अपने देश की मिट्टी को अपने माथे से लगाता है। वह अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देता है। युद्ध से वापस लौटता अथवा युद्ध को जाता हुआ सैनिक अपनी मातृभूमि की माटी को छूकर आशीर्वाद अवश्य लेता है। जर्मन की सेना ने भी युद्ध जीतने के बाद अपने देश की मिट्टी पर लेटकर उसके प्रति आभार व्यक्त किया था।
आध्यात्मिक विचारधारा वाला व्यक्ति मिट्टी को स्वयं के भीतर मानता है। उसके अनुसार शरीर के निर्माण करने वाले तत्वों में एक तत्व मिट्टी भी है। यह शरीर मिट्टी का बना हुआ है और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा। अतः जितना हो सके इस शरीर का उपयोग सदकार्यों और इस मिट्टी के प्रति अपने दायित्वों के निर्वाह में करना चाहिए। मिट्टी का स्वरूप भले ही भिन्न है, किन्तु प्रत्येक के जीवन में उसका स्थान श्रेष्ठ है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में स्वयं को मिट्टी से जुड़ा हुआ पाता है। वह चाहकर भी स्वयं को कभी इससे अलग नहीं रख सकता है।
12. आपका छोटा भाई कुसंगति में पड़ गया था परंतु अब इससे बाहर आना चाहता है। आप उसकी मदद किस प्रकार करेंगे, पत्र लिखकर समझाइए।
उत्तर:
(1) प्रारंभ व अंत की औपचारिकताएँ
(2) प्रस्तुति एवं विषयवस्तु
(3) भाषा-विन्यास
व्याख्यात्मक हल :
नेशनल पब्लिक स्कूल
हॉस्टल, खुर्जा।
दिनांक : 15-04-2021
प्रिय अनुज
सौरभ
शुभाशीष।
मुझे यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ कि अंतत: तुमने मेरी सलाह मानकर कुसंगत को छोड़ने का निश्चय कर लिया है।
प्रिय भाई यह कोई अत्यधिक कठिन कार्य नहीं है। इसके लिए केवल संयम और धैर्य की आवश्यकता है, फिर तुम देखोगे कि तुम्हारी
कुसंगत के कारण जो अच्छे विद्यार्थी तुमसे दूर रहते थे। वे स्वत: ही तुमसे स्नेह करने लगेंगे।
परंतु तुम्हें गलत राह पर ले जाने वाले अपने साथियों से दूरी बनानी होगी। अपनी शिक्षा पर पूर्ण ध्यान देना होगा। अध्यापकों का कहना
मानना होगा। यह तभी संभव हो पाएगा।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम कुसंग छोड़ने में अवश्य सफल होओगे और एक अच्छे विद्यार्थी बनोगे। मेरा आशीष तुम्हारे साथ है। तुम्हारा अग्रज सुभाष
13. दो राष्ट्र प्रेमी मित्रों के बीच देश की वर्तमान व्यवस्था पर हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
(1) विषयवस्तु
(2) प्रस्तुतिः
(3) भाषा-विन्यास
व्याख्यात्मक हल :
प्रकाश : पुष्पेन्द्र, कल रात को नरेन्द्र मोदी का राष्ट्र के नाम सन्देश सुना।
पुष्पेन्द्र : हाँ, सुना, मजा आ गया। अचानक 500 और 1000 के नोट बन्द
करके कालाधन इकट्ठा करने वालों की जड़ हिला दी।
प्रकाश : वह तो ठीक है पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पाकिस्तान पर पड़ेगा। अब वह आतंकवादियों को शरण नहीं दे पायेगा।
पुष्पेन्द्र : हाँ प्रकाश सही कह रहे हो क्योंकि पाकिस्तान के आतंकी संगठन 500 व 1000 के नकली नोटों के द्वारा हमारे युवाओं को आतंकवादी बनाते थे। पर अब धन न होने से उनके मंसूबे ध्वस्त हो जायेंगे।
प्रकाश : ठीक कह रहे हो परन्तु हमारे देश के नेता तो बौखला रहे हैं। क्योंकि काले धन से चुनाव लड़ने की उनकी तैयारी धरी रह गयी।
पुष्येन्द्र : बिल्कुल ठीक कह रहे हो मित्र, उनकी बौखलाहट का मूल कारण यही है।
पुष्पेन्द्र : सही बात है वैसे कुछ अच्छे परिवर्तन करने के लिए थोड़ी बहुत परेशानी तो उठानी पड़ती है।
प्रकाश : कोई बात नहीं राष्ट्र हित में हम इतनी परेशानी तो उठा ही सकते है।
CBSE Solved Question Papers for Class 9 Hindi A Set 2
हल सहित
सामान्य निर्देश :
खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
किसी भी राष्ट्र के सभ्यता एवं संस्कृति के निर्माण तथा विकास में नारी का योगदान महत्वपूर्ण होता है। युगों-युगों का इतिहास अपने किसी-न-किसी अंश में नारी के गौरव को प्रतिष्ठित करता रहा है। मानव जीवन का प्रत्येक क्षेत्र नारी के अभाव में अपूर्ण है। नारी शक्ति है, प्रेरणा है और जीवन की आवश्यक पूर्ति है। नारी गृहस्थ का केन्द्र बिन्दु तथा परिवार की आधारशिला है। समाज का महत्वपूर्ण अंग है अत: नारी को महत्ता देने के लिए सन् 1818 में 8 मार्च को पहली बार सम्मेलन में इस दिन को ‘महिला दिवस’ के रूप में स्वीकार किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 को “अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष” और 1980 को “महिला विकास वर्ष” घोषित किया। यही नहीं, 1975 से 85 का दशक “अन्तर्राष्ट्रीय महिला दशक” घोषित कर एक ऐसे समाज के रूपायन का प्रयास किया जिसमें महिलाएँ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सही और पूर्ण अर्थों में सहभागी हों।
(क) नारी के योगदान में क्या सम्मिलित नहीं है ?
(ख) नारी की महत्ता को पहचान देने के लिए क्या किया गया है?
(ग) 8 मार्च किस रूप में प्रसिद्ध है?
(घ) गद्यांश में नारी के लिए क्या नहीं कहा गया है?
(ड) ‘अन्तर्राष्ट्रीय’ शब्द में उपसर्ग एवं प्रत्यय हैं?
उत्तर-
(क) नारी के योगदान में अंधविश्वासों की प्रतिष्ठा शामिल नहीं है।
(ख) नारी की महत्ता को पहचान देने के लिए महिला दिवस मनाया गया।
(ग) 8 मार्च महिला दिवस के रूप में प्रसिद्ध है।
(घ) गद्यांश में नारी को रूपायन नहीं कहा गया है।
(इ) अन्तर्राष्ट्रीय शब्द में उपसर्ग है-अन्तर, प्रत्यय है ईय।
2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
निजता की संकीर्ण क्षुद्रता
तेरे सुविपुल में खो जाय,
ओ दुस्सह तेरी दुस्सहता
सहज सपा हमको हो जाय ।
ओ कृतान्त हमको भी दे जा
निज कृतान्तता का कुछ अंश,
नई सृष्टि के नवोल्लास में,
फूट पड़े तेरा विभ्रंश!
नव भूखंड अमृत के घट-सा
दे ऊपर की ओर उछाल
सागर क्रा अन्तस्तल मथ कर
तेरे विप्लव का भूचाल।
जीर्ण शीर्णता के दुर्गों को
कुसंस्कार के स्तूपों को
ढा दे एक साथ ही उठकर
दुर्जय तेरा क्रोध कराल
कुछ भी मूल्य नहीं जीवन का
हो यदि उसके पास न ध्वंस;
ओ कृतान्त हमको भी दे जा
निज कृतान्तता का कुछ अंश।
ओ भैरव, कवि की वाणी का
मृदु माधुर्य लजा दे आज,
वंशी के ओष्ठों पर अपना,
निर्मम शंख बजा दे आज।
(क) ‘संकीर्ण क्षुद्रता’ में क्या सम्मिलित होते हैं?
(ख) ‘नव भूखंड अमृत के घट-सा, दे ऊपर की ओर उछाल’ का क्या आशय है?
(ग) क्रोध कैसा हो?
(घ) जीवन मूल्यवान किसका होता है?
(इ.) ‘कुसंस्कार’ मैं कौन सा उपसर्ग है?
उत्तर:
(क) संकीर्ण शुद्धता में सम्मिलित होते हैं-स्वार्थपूर्ण समाज के रीति-रिवाज।
(ख) ली गई पंक्ति का आशय है-अपने नवीन उत्साह व आत्मविश्वास से लोगों में नया जीवन हो।
(ग) क्रोध इतना भयंकर हो कि उसे जीतना कठिन हो।
(घ) जीवन उसका मूल्यवान होता है जिसने क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं।
(इ.) कुसंस्कार में ‘कु’ उपसर्ग है।
3. (i) निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) अनुपम शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग एवं मूल शब्द बताइए।
(ख) अभि उपसर्ग लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ग) वैज्ञानिक शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय, मूल शब्द बताइए।
(घ) खोर प्रत्यय लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ii) निम्नलिखित शब्दों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए–
(क) नरसिंह
(ख) कन्यादान
(ग) राम लक्ष्मण
उत्तर:
(i) (क) ‘अनु’-उपसर्ग, उपमा (उपम)-मूल शब्द
(ख) अभिमान, अभिकर्ता ।।
(ग) ‘इक’-प्रत्यय विज्ञान-मूल शब्द
(घ) जमाखोर, चुगलखोर, चीनीखोर, रिश्वतखोर आदि।
(ii) (क) नरसिंह-सिंह के समान नर – कर्मधारय।
(ख) कन्यादान – कन्या का दान – तत्पुरुष
(ग) राम-लक्ष्मण – राम और लक्ष्मण – द्वंद्ध समास
4. (i) अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की पहचान करके उनके भेद लिखिए:
(क) प्रात:काल पूर्वी क्षितिज पर सूर्य की लाली बहुत ही सुंदर प्रतीत होती है।
(ख) यदि वह मुझसे मिलता तो उसका काम अवश्य हो जाता।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए
(क) मजदूरों ने काम कर लिया है। (निषेधवाचक में)
(ख) मेरी बहन सरला अपनी सहेली के घर गई है। (संदेहवाचक में)
उत्तर-
(i) (क) विधानवाचक
(ख) संकेतवाचक
(ii) (क) मजदूरों ने काम नहीं किया है।
(ख) हो सकता है मेरी बहन सरला अपनी सहेली के घर गई हो।
5. निम्नलिखित पदयांशों में प्रयुक्त अलंकारों की पहचान कर उनके नाम लिखिए
(क) वह इष्टदेव के मंदिर की पूजा-सी।
(ख) अंबर के तारे मानो मोती अनगन हैं।
(ग) प्रश्न-चिन्हों में उठी हैं भाग्य-सागर की हिलोरें।
(घ) संसार की समर-स्थली में धीरता धारण करो।
उत्तर-
(क) उपमा अलंकार
(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) रूपक अलकार
(घ) अनुप्रास अलंकार।
खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक
6. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
फिर एक हमारा छोटा भाई हुआ वहाँ, तो ताई साहिबा ने पिताजी से कहा-‘देवर साहब से कहो, वो मेरा नेग ठीक करके रखें।’ मैं शाम को आऊँगी।’ वे कपड़े-वपड़े लेकर आई।
हमारी माँ को वे दुल्हन कहती थीं। कहने लगीं, ‘दुल्हन, जिनके ताई-चाची नहीं होती हैं। वो अपनी माँ के कपड़े पहनते हैं, नहीं तो छह महीने तक चाची-ताई पहनाती हैं। मैं इस बच्चे के लिए कपड़े लाई हूँ। यह बड़ा सुन्दर है। मैं अपनी तरफ से इसका नाम ‘मनमोहन’ रखती हूँ।
(क) परिवार का सा परस्पर स्नेह रिश्तों को किस प्रकार सुदृढ़ करता है? गद्यांश के
आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) ताई साहिबा का व्यवहार दोनों परिवारों को जोड़ने में कैसे सहायक था? बताइए।
(ग) ‘दुल्हन’ कहकर कौन किसे संबोधित करता था?
उत्तर:
(क) जन्म अथवा जन्मदिन पर परिवार के लोगों द्वारा आशीर्वाद स्वरूप कुछ उपहार देना या नेग देना, परिवार के लोगों के संबंधों को और गहरा करते हैं।
व्याख्यात्मक हल :
परिवार का सा परस्पर स्नेह जाति से ऊपर उठकर लोगों को इतना करीब ला देता है कि वे अपने से लगने लगते हैं। जैसे ताई साहिबा कहने को तो मुस्लिम जाति की पड़ोसी महिला थीं, किन्तु लेखिका के परिवार से उनके बहुत घनिष्ठ संबंध थे। वह अक्सर लेखिका के यहाँ उपहार लेकर आती रहती थी।
(ख) भारतीय संस्कृति धर्म, जाति, भाषा, संप्रदाय में भेद- नहीं करती।
व्याख्यात्मक हल : ताई साहिबा लेखिका के परिवार से बहुत स्नेह रखती थीं। वे अक्सर उनके घर आया करती थीं। वे लेखिका के भाई के जन्म के अवसर पर उसके लिए कपड़े भी लाई। इस प्रकार से उनके इस मधुर व्यवहार को वह जातिपात भेदभाव को नहीं मानती थीं।
(ग) ताई साहिबा, लेखिका की माँ को।
व्याख्यात्मक हल :
‘दुल्हन’ कहकर ताई साहिबा लेखिका की माँ को संबोधित करती थीं।
7. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) किन-किन प्रसंगों से ज्ञात होता है कि गुरुदेव का पक्षियों और प्रकृति से प्रगाढ़ सम्बन्ध था? ‘एक कुत्ता और एक मैना” पाठ के आधार पर लिखिए।
(ख) सेनापति ‘हे’ ने मैना देवी को क्या दिलासा दी?
(ग) “सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं” पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
(घ) लेखक विवेदी जी को लंगड़ी मैना अन्य साथियों से किस प्रकार भिन्न जान पड़ी थी? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
(क) मैना, कौए, कुत्ता – कविता लिखना, हाल जानना।
व्याख्यात्मक हल :
बगीचे में टहलते हुए एक-एक फूल और पते को ध्यान से देखना, आश्रम में कौए न दिखाई देने की ओर इशारा करना, डूबते हुए सूर्य को ध्यान से देखना, बगीचे में हर रोज फुदकने वाली मैना के चेहरे के करुण भाव को समझना आदि से ज्ञात होता है कि गुरुदेव का पक्षियों और प्रकृति से प्रगाढ़ संबंध था।
(ख) सेनापति ‘हे’ ने मैना देवी को यह दिलासा दी कि वैसे तो मैं जिस सरकार का नौकर हूँ, उसकी आज्ञा नहीं टाल सकता, परन्तु फिर भी मैं तुम्हारी व इस महल की रक्षा करने का प्रयत्न करूंगा।
(ग) सभी नदियाँ पहाड़ को फोड़कर रास्ता नहीं बनाती ‘अपितु रास्ता बदलकर निकल जाती हैं। समाज की बुराइयों व रूढ़िवादी परम्पराओं को देखकर भी बहुत से विचारवान लोग कुछ नहीं रहते हैं। प्रेमचंद जी ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है, यह उनका ठोकर मारना था।
व्याख्यात्मक हल :
प्रेमचंद ने समाज की कुरीतियों से जूझने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। वह कहते हैं कि उनसे संघर्ष करने की अपेक्षा प्रेमचंद को अपना मार्ग ही बदल लेना चाहिए था, जिससे उन्हें कष्ट भी नहीं होता और राह भी आसान हो जाती।
(घ) दल से अलग रहने के कारण।
व्याख्यात्मक हल :
यह अन्य मैनाओं के साथ मिलकर उछल-कूद या बक-झक नहीं करती। इसके हृदय में कोई न कोई गाँठ है। परन्तु न तो इसकी आँखों में किसी के प्रति शिकायत है, न क्रोध है और न वैराग्य। लगता है, यह अभागी अपने यूथ से भ्रष्ट होकर समय काट रही है।
8. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
और पैरों के तले है एक पोखर,
उठ रहीं इसमें लहरियाँ,
नील तल में जो उगी है घास भूरी
ले रही वह भी लहरियाँ।
एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा
आँख को है चकमकाता।
हैं कई पत्थर किनारे
पी रहे चुपचाप पानी,
प्यास जाने कब बुझेगी!
चुप खड़ा बगुला डुबाए टॉग जल में,
देखते ही मीन चंचल
ध्यान-निद्रा त्यागता है,
चट दबा कर चोंच में
नीचे गले में डालता है।
(क) पोखर में किसका प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा था? वह कैसा लग रहा था?
(ख) पत्थरों को प्यासा कहने के पीछे क्या कारण है?
(ग) बगुला किसे देख अपना ध्यान भंग करता है?
उत्तर:
(क) सूर्य का, चाँदी के गोल खंभे के समान चमकता हुआ। पोखर में सूरज का प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा था। वह चाँदी के बड़े गोल खंभे के समान लग रहा था।
(ख) लहरों के बार-बार आने जाने से किनारे पड़े पत्थर गीले होते हैं फिर सूख जाते हैं, मानी बार-बार पानी पाना चाहत हैं, बहुत पयासे हैं।
व्याख्यात्मक हल :
पत्थर लम्बे समय से पानी में पड़े हुए हैं, अत: कवि को लगता है जैसे वे चुपचाप पानी पी रहे हैं। इसलिए उसने पत्थरों को प्यासा कहा है।
(ग) पानी पर तैरती मछली को।
व्याख्यात्मक हल :
बगुला ध्यानमग्न होकर मछली की ताक में रहता है, जैसे ही मछली उसके पास आती है, वह अपना ध्यान भंग करता है।
9. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) कवि गेंदों के समाप्त होने का प्रश्न उठाकर क्या कहना चाहता है? “बच्चे काम पर जा रहे हैं” कविता के आधार पर लिखिए।
(ख) “मेघ आए’ कविता में कौन किससे क्षमा याचना कर रहा है और क्यों?
(ग) ‘आज जिधर भी पैर करके सोओ” से कवि देवताले की सोच में किस परिवर्तन का पता चलता है?
(घ) ‘बाल-श्रम असफलता सरकार की है या हमारी” ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। पाठ के
आधार पर तर्क सहित विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
(क) बच्चों को खेल से वंचित करना।
व्याख्यात्मक हल :
बाल-मजदूरों की अभी खेलने की उम्र है, उन्हें काम-काज में नहीं डालना चाहिए, कवि समाज को इससे परिचित कराना चाहता है। बच्चों का बचपन लौटाया जाना
(ख) पत्नी पति से, न आने का भय, आगमन ।
व्याख्यात्मक हल : | लता रूपी नायिका अपने बादल रूपी प्रियतम से क्षमा याचना कर रही हैं, क्योंकि उसे भ्रम था कि उसका प्रियतम उसे छोड़कर चला गया है और अब नहीं लौटेगा किन्तु उसके आने से लता का यह भ्रम दूर हो गया। इसलिए वह मेघों से क्षमा माँग रही है।
व्याख्यात्मक हल :
पहले के समय में दक्षिण दिशा यमराज की दिशा कहलाती थी, इसलिए उस दिशा में पैर करके सोने को मना किया जाता था, किन्तु वर्तमान समय में हर दिशा दक्षिण दिशा हो गई है। आज जीवन विरोधी ताकतें चारों तरफ फैलती जा रही हैं। भयरूपी दक्षिण दिशा सर्वव्यापक हो गई है। चारों तरफ हिंसा, छेड़-छाड़, लूटपाट, विध्वंस बढ़ गया है।
(घ) सरकारी योजनाएँ पूर्ण रूप से उचित एवं सुचारु। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य समाज के कदमों में कमी
व्याख्यात्मक हल :
यह असफलता हमारी और सरकार दोनों की है। बच्चों को बाल श्रमिक बनने के लिए हम ही मजबूर करते हैं। हमारी विपरीत आर्थिक परिस्थितियाँ और बच्चों के प्रति हमारी और समाज की असंवेदनशीलता तथा लापरवाही उनसे उनका बचपन छीन कर उन्हें बाल-श्रमिक बना देती है।
10. टिहरी शहरवासियों के लिए माटी वाली का क्या महत्व था? वे माटी वाली को। किस तरह जानते थे ? |
उत्तर:
टिहरी निवासी माटी वाली को भली-भाँति जानते थे। हर घर वाला, बच्चा, किराएदार सब जानते थे क्योंकि हर घर में लाल मिट्टी देने वाली वह अकेली स्त्री थी। उसके बिना टिहरी शहर में चूल्हे जलाना कठिन था। लोगों के सामने रसोई और। भोजन के बाद चूल्हे-चौके की लिपाई करने की समस्या पैदा हो जाएगी। हर घर में रोज लाल मिट्टी की जरूरत पड़ती थी। इसलिए माटी खाने से लाल मिट्टी लाकर हर घर में मिट्टी देने वाली को हर कोई जानता था।
खण्ड ‘घ’ : लेखन |
11. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 200-250 शब्दों का निबंध लिखिए।
(क) नारी और नौकरी
[सिंकेत बिंदु- 1. भूमिका, 2. नौकरी के कारण, 3. जीवन पर प्रभाव, 4. लाभ हानि, 5. उपसंहार]
अथवा
(ख) स्वस्थ शरीर सबसे बड़ी नियामत
[संकेत बिंदु- 1. भूमिका 2. व्यायाम का तात्पर्य, 3. विषयवस्तु, 4. उपसंहार ]
अथवा
(ग) मेरे जीवन का लक्ष्य
[सिंकेत बिंदु- 1. भूमिका 2. मेरा लक्ष्य 3. अनगिनत विकल्प 4. प्राप्त करने के उपाय 5. उपसंहार ]
उत्तर:
(क) नारी और नौकरी
(ख) विषयवस्तु
(ग) भाषा की शुद्धता
व्याख्यामक हल :
नारी समाज का अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं आवश्यक अंग है। आधुनिक युग में नारी को जहाँ अधिक स्वतन्त्रता प्राप्त हुई है वहीं पर अनेक समस्याओं से वह घिर भी गई है। अनेक प्रकार की विषम आर्थिक स्थिति में उसे नौकरी करने को विवश होना पड़ता है। सुबह-सुबह ही कामकाजी नारी की भाग-दौड़ शुरू हो जाती है। जहाँ उसे अपने बच्चों को तैयार करके स्कूल भेजना होता है, वहीं पति के दफ्तर जाने से पहले उनका लंच बॉक्स तैयार रखना पड़ता है। पति के जाने के बाद ही तुरन्त परिवार के शेष कुछ काम भी वह करती है। साथ ही भाग-दौड़ कर अपने दफ्तर के लिए तैयार भी होती है। परिवार की सुख-सुविधा का मुख्य दायित्व नारी पर ही होता है परन्तु कई बार नौकरी के चक्कर में घर की स्थिति अस्त-व्यस्त हो जाती है।
दौड़-भाग करके जल्दबाजी में वह काम पर पहुँचती है, तो वहाँ भी तनाव उनका पीछा नहीं छोड़ता, समय पर दफ्तर न पहुँचने पर एक तो अधिकारियों की डॉट-डपट सुननी पड़ती है, दूसरे मूड खराब होने के कारण सुबह-सुबह कार्यालय का काम भी ढंग से नहीं हो पाता। कार्यालय में भी कई बार उसे घर के कुछ आवश्यक काम पूरे न होने की चिन्ता सताती रहती है। शाम के समय थक-हारकर घर आने पर भी उसे चैन और आराम मिलना असम्भव ही जान पड़ता है। घर में आते ही बच्चों का होमवर्क, खाना बनाना आदि की चिन्ता सताने लगती है। पूरे दिन की इस अफरा-तफरी में उसे अपने लिए कभी वक्त ही नहीं मिल पाता। अत: कहा जा सकता है कि कार्य करने । वाली नारियों में बहुत से नारी सुलभ गुण यथा-दया, करुणा, ममता, स्नेह उस मात्रा में नहीं रहते जैसे आम घरेलू महिलाओं में दिखाई पड़ते हैं।
फिर भी यह कहना अधिक उपयुक्त होगा कि काम करने वाली नारियां अपना, अपने परिवार का और देश का हित कर रही हैं। पढ़ी-लिखी नारी यदि काम नहीं करती तो उसकी अपनी जिन्दगी में कोई आनन्द नहीं रहता। साथ ही आज की इस महँगाई में काम करने वाली नारियाँ ही परिवार और बच्चों का भली-भाँति पालन पोषण कर सकने में सक्षम हो पाती हैं।
अथवा
(ख) स्वस्थ शरीर सबसे बड़ी नियामत
जिस देश के नागरिक जितने स्वस्थ और शक्तिशाली होंगे, वह देश भी उतना ही शक्तिशाली और समृद्धिशाली होगा। सम्पन्नता और विपन्न्ता धर्म और अधर्म से। आती है। ‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा का निवास संभव है।’ यदि शरीर स्वस्थ न हो तो संसार के सब वैभव आस्वाद भी आनन्द प्राप्त नहीं करते। स्वस्थ शरीर का । अर्थ है कि देह का उचित अनुपात में विकसित होना। छाती चौड़ी हो, गर्दन ऊँची तथा तनी हुई हो, शरीर में लचीलापन, पुट्ठों तथा डोलों में से मजबूती, पेट अन्दर हो तथा आँखों में चमक हो तभी व्यक्ति स्वस्थ माना जाता है।
महर्षि चरक ने व्यायाम का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है कि शरीर की जो चेष्टा देह को स्थिर करने एवं उसका बल बढ़ाने वाली हो, उसे व्यायाम कहते हैं। तात्पर्य यह है कि मन को आनन्दित, शरीर को शक्तिशाली और स्फूर्तिमय बनाने के लिए हम जो शारीरिक क्रियाएं करते हैं उन्हीं को व्यायाम कहते हैं।
संसार में सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य ही है। एक स्वस्थ व्यक्ति हर वो वस्तु या लक्ष्य प्राप्त कर सकता है जिसे वह प्राप्त करना चाहता है। इसके विपरीत कमजोर स्वास्थ्य वाला और बीमार व्यक्ति सदैव पिछड़ जाता है। अत: उत्तम स्वास्थ प्राप्त करने के लिए व निरोगी । काया के लिए व्यक्ति को नित्य प्रति व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि व्यायाम से शरीर में स्वस्थ’ खून का संचार होता है और हमारा पाचन-तन्त्र ठीक से काम करने लगता है। हमारे शरीर का एक-एक अंग पुष्ट और मजबूत हो जाता है तथा हमारा मन उल्लास और उमंग से भर जाता है। कहने का अर्थ यह है कि व्यायाम उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी है। मानसिक कार्य करने वालों के लिए शारीरिक व्यायाम करना अति आवश्यक है क्योंकि व्यायाम करने से मानसिक थकान दूर होती है।
स्वस्थ शरीर के बिना कोई भी कार्य भली प्रकार सम्पन्न नहीं किया जा सकता है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी स्वस्थ मन-मस्तिष्क और शरीर की आवश्यकता होती है। यह सब व्यायाम या खेलकूद से ही प्राप्त किया जा सकता है इसलिए कहा भी गया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है। स्वस्थ मस्तिष्क ही स्वस्थ विचारों का कोष होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव सकारात्मक और स्वच्छ विचार होते हैं।
स्वस्थ व्यक्ति ही संसार के सब आनन्दों का स्वाद ले सकता है। अंग्रेजी में कहा गया है- If Wealth is lost noting is lost, if health is lost Something is lost but if character is lost everything is lost.स्वस्थ रहने के लिए हमें नियमित व्यायाम अवश्य करना चाहिए।
(ग) मेरे जीवन का लक्ष्य
हरिवंशराय बच्चन की एक कविता की कुछ पंक्तियाँ हैं।
‘पूर्व चलने के बटोही पंथ का निर्माण कर ले।’
जो व्यक्ति अपने लक्ष्य का निर्धारण सोच-समझ कर करता है वह अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करता है। अर्जुन को जैसे चिड़िया की आँख ही दिख रही थी क्योंकि वही उनका लक्ष्य था। सारी इन्द्रियाँ एकाग्रचित करके जब उन्होंने बाण चलाया तो वे लक्ष्य वेध में सफल हुए। |
मेरा लक्ष्य-जीवन का लक्ष्य बहुत सोच-समझकर प्रारम्भ से ही तय करना चाहिए तभी सफलता प्राप्त होती है। जो बार-बार अपना लक्ष्य बदलते रहते हैं, वे अवश्य ही असफल हो जाते हैं। मधुशाला में बच्चनजी कहते है।
राह पकड़ तू एक चला चल
पा जायेगा मधुशाला।।
अनगिनत विकल्प – हर व्यक्ति के सामने अनगिनत लक्ष्य रहते हैं। कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई इंजीनियर, तो कोई शिक्षक बनना चाहता है, तो कोई फौजी अफसर। व्यक्ति यदि प्रारंभ से ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर ले तो एकाग्रचित होकर उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील हो जाता है और अन्ततः अपना लक्ष्य पा लेता है। मैंने अपने जीवन का लक्ष्य शिक्षक बनना निर्धारित किया है। शिक्षक बनकर मैं देश की भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सकेंगा और चारित्रिक विकास कर अच्छे नागरिक देकर देश सेवा में योगदान दे सकेगा।
हमारे देश में अच्छे शिक्षकों की नितान्त कमी है। यहाँ 100 बच्चों पर भी एक शिक्षक उपलब्ध नहीं है। जबकि विकसित देशों में 20 बच्चों पर ही एक शिक्षक उपलब्ध है। शिक्षा की गुणवत्ता तभी सुधारी जा सकेगी जबकि शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात तक संगत हो। अच्छे, योग्य, कर्मठ, कर्तव्य परायण शिक्षक हमारे विद्यालयों में उपलब्ध हों।
विद्यालय की सफलता उसके शिक्षकों पर निर्भर है। अध्यापन के साथ-साथ उसे अपने विद्यार्थियों में अनुशासन, नैतिकता, चारित्रिक एवं मानवीय मूल्यों का भी विकास करना होता है। साथ ही बच्चों को खेल-कूद में प्रवीण बनाना भी उसका दायित्व है।
उपसंहार- मेरा पूरा प्रयास एक अच्छा शिक्षक बनने की ओर रहेगा। उसके अनुरूप योग्यता अर्जित करूंगा तथा तत्सम्बन्धी परीक्षाओं में पास होकर उच्च शैक्षिक रिकार्ड की ओर मेरा ध्यान प्रारम्भ से रहेगा क्योंकि तभी मैं इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगा। मुझे पूरा विश्वास है कि एक शिक्षक के रूप में, मैं पूर्ण सफलता भी प्राप्त करूंगा। इससे मुझे आत्मसंतोष मिलेगा और देश के प्रति अपने कर्तव्य पालन की तुष्टि भी मिलेगी।
12. आपको छात्रावास में रहकर पढ़ते हुए परेशानी हो रही है अतः आप अलग रहकर पढ़ाई करना चाहते हैं। इस तथ्य से अपने भाई साहब को अवगत कराते हुए उनसे निवेदन कीजिए कि वे आपके लिए विद्यालय के आसपास ही एक कमरे की व्यवस्था करने का कष्ट करें।
उत्तर:
1. प्रारंभ और अंत की औपचारिकताएं
2. विषयवस्तुः
3. भाषा
व्याख्यात्मक हल
23, गोरखराय छत्रावास
आगारा
दिनांक 15.11.2021
आदरणीय भाई साहब,
सादर चरण स्पर्श ।
मैं आपकी कृपा पाकर कृतार्थ हूँ। आपने अपनी सुविधाओं में कटौती कर मुझे आगे पढ़ने हेतु छात्रावास में रहकर अपनी आगे की पढ़ाई करने की सुविधा प्रदान की है। किन्तु यहाँ छात्रावास में मेरा अध्ययन सुचारु रूप से नहीं चल पा रहा है क्योंकि आसपास रहने वाले कई छात्र सिनेमा आदि के गीत बजाते रहते हैं तथा दिन भर होहल्ला करते रहते हैं।
अच्छा हो यदि आप कॉलेज के पास ही एक कमरे की व्यवस्था मेरे लिए कर दें। जिससे मैं अपना सारा ध्यान पढ़ाई में केन्द्रित कर सक् और उन अवांछनीय तत्वों से दूर भी रह सकें। मुझे पूरा विश्वास है कि आप यह प्रबंध अवश्य कर देंगे। पढ़ाई में । विध्न न आता तो आपसे यह कहने का साहस भी न कर सकता। आदरणीय माताजी, पापाजी को चरण स्पर्श एवं चिन्टू को स्नेह दें। आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी।
आपका अनुज
कुशाग्र शर्मा
13. आज आप की अंतिम परीक्षा है। पढ़ाई से चिंतामुक्त होकर आप अपने मित्र के साथ मस्ती से छुट्टयाँ बिताना चाहते हैं। इस स्थिति पर लगभग 50 शब्दों में संवाद लिखिए।
उत्तर:
(1) विषयवस्तु
(2) प्रस्तुति
(3) भाषा की शुद्धता
व्याख्यात्मक हल:
अमित : मित्र! आज हमारा आखिरी पेपर है।
सोहन : हाँ! आज हम अपने आपको चिंता मुक्त महसूस कर रहे हैं।
अमित : हाँ मित्र! बिल्कुल सही कह रहे हो। मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मेरे सिर से बोझ हल्का हो गया हो।
सोहन : सही कहा, कल से पूरे महीने की छुट्टी भी हो जायेगी। वैसे तुम्हारा क्या कार्यक्रम है? मैं तो मम्मी के साथ मामाजी के यहाँजाऊँगा।
अमित : अरे वाह! मैं भी छुट्टियों में अपनी मौसी के यहाँ जाऊँगा। खूब मजा आयेगा हम दोनों साथ-साथ छुट्टियाँ बिताएँगें।
सोहन : अरे हाँ! मैं तो भूल ही गया था कि मेरी बड़ी मामी तुम्हारी मौसी लगती हैं। तब तो खूब मजा आयेगा।हम लोग खूब मस्ती करेंगे।
अमित : अच्छा अब चल, आज का पेपर शुरू होने वाला है।